छत्तीसगढ़ में कांग्रेस बनाएगी अपनी सरकार!

Tatpar 29/01/2014
कांग्रेस बनाएगी छाया मंत्रिमंडल
दूसरी ओर संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के छाया मंत्रिमंडल की सफलता हमेशा से ही संदिग्ध रही है क्योंकि इस छाया मंत्रिमंडल की न तो वैधानिकता होती है और न ही किसी तरह का विशेषाधिकार। ऐसे में यह प्रतिपक्ष से कहीं बड़ी भूमिका नहीं निभा पाएगा
क्या है छाया मंत्रिमंडल?
संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में भी यह व्यवस्था 1952 में ही शुरु हो जाती। लेकिन किसी दल को इतनी सीटें नहीं मिली थीं कि उसे छाया मंत्रिमंडल का दर्जा दिया जा सके।
भारत में भी हुईं थीं कोशिशें
देश में राजस्थान, हरियाणा जैसे राज्यों में भी छाया मंत्रिमंडल बनाने की कोशिशें हुई थीं लेकिन विपक्षी दल इस छाया मंत्रिमंडल को चला पाने में विफल रहे। छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने छाया मंत्रिमंडल बनाने की कवायद शुरू कर दी है।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भूपेश बघेल का कहना है कि राज्य में जिस तरीके से भाजपा सरकार काम कर रही है, यहां हर कहीं भ्रष्टाचार नज़र आ रहा है। भूपेश बघेल की योजना है कि कांग्रेस के अलग-अलग विधायकों को सत्तारुढ़ सरकार के अलग-अलग विभाग के मंत्रियों पर पूरी तरह से नज़र रखने और उनकी एक-एक योजना और कार्य की पूरी जानकारी रखने का जिम्मा दिया जाएगा।
भूपेश बघेल के अनुसार कांग्रेस के छाया मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ कांग्रेस पदाधिकारियों की टीम भी उनकी मदद के लिये रहेगी। छाया मंत्री सत्तारुढ़ सरकार के काम-काज को जनता के सामने ले जाने का भी काम करेंगे।
राज्य में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह देव कहते हैं, “छाया मंत्रिमंडल के सहारे हमारी कोशिश असल में सरकार के मंत्रियों पर नज़र रखने की है। हम अपने विधायकों की अलग-अलग विभागों की जवाबदेही तय करना चाहते हैं, जिससे एक बेहतर प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई जा सके।”
क्या इससे पड़ेगा कुछ फर्क?
गौरीशंकर अग्रवाल कहते हैं, “आप अपने घर में कुछ भी कर लें, किसी को कुछ भी बना दें, उससे विधानसभा की कार्रवाई में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।”
संवैधानिक मामलों के जानकार भी छाया मंत्रिमंडल को लेकर बहुत आशान्वित नहीं हैं। राज्य के वरिष्ठ वकील और संविधान विशेषज्ञ कनक तिवारी कहते हैं कि सरकार के बहुत सारे नीतिगत फैसले ऐसे होते हैं, जिनकी गोपनीयता ज़रुरी होती है और मंत्री इसकी संवैधानिक शपथ लेते हैं।
कनक तिवारी कहते हैं, “कई बार अपने नीतिगत निर्णयों की जानकारी सार्वजनिक करने के बजाय उन पर अमल का काम सरकार कर सकती है। ऐसे में अगर छाया मंत्रिमंडल को सरकार की सोच का ही पता नहीं हो तो भला वह उसके समर्थन या विरोध का काम कैसे कर पाएगी? ऐसी ही स्थिति प्रशासनिक निर्णयों को लेकर भी पैदा होगी। बेहतर तो ये हो कि विपक्षी कांग्रेस के विधायक धरातल पर स्थितियों को देखें और उनमें सुधार की कोशिश करें।”