‘ऊं’ और योग से जुड़े अन्य मंत्रों के उच्चारण को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर जफरयाब जिलानी ने संविधान के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि एक सरकारी कार्यक्रम में किसी धर्म विशेष को बढ़ावा देने से संविधान का उल्लंघन हुआ है। यही नहीं, जिलानी ने यह भी कहा है कि एक धर्म से जुड़ी चीजों के प्रचार के खिलाफ वे कोर्ट जाएंगे। जिलानी ने ये बातें एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान कहीं।
जिलानी ने कहा-आज मैं बहुत दुखी
एआईएमपीएलबी के मेंबर जिलानी ने कहा, ‘भले ही योग दिवस को लेकर दुनिया खुशी मना रही हो, लेकिन आज मैं बेहद दुखी हूं क्योंकि एक सरकारी कार्यक्रम में सिर्फ ऊं का उच्चारण किया गया। यह देश की धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान के खिलाफ है।’
‘मंत्र, सूर्य नमस्कार जैसी चीजें हटें तो योग पर आपत्ति नहीं’
जिलानी ने कहा, ‘मुझे इस बात से मतलब नहीं है कि दुनिया के 193 देश योग कर रहे हैं या नहीं। मैं योग नहीं करता। हां, अगर योग से मंत्र और सूर्य नमस्कार जैसी चीजें अलग कर इसे सिर्फ वर्जिश के तौर पर पेश किया जाए तो मुझे आपत्ति नहीं है।’
मुस्लिम संगठन ने किया था विरोध योग दिवस से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम बच्चों से स्कूल में सूर्य नमस्कार नहीं करने की अपील की थी। इतना ही नहीं योग दिवस के कार्यक्रम के दौरान ऊं शब्द के उच्चारण पर भी आपत्ति जताई गई थी। इसके बाद सरकार ने योग दिवस के कार्यक्रम से सूर्य नमस्कार हटा दिया था और कहा था कि मंत्र की जगह कोई भी व्यक्ति अपने ईस्ट देव या धर्म के हिसाब से उच्चारण कर सकता है।
कौन हैं जिलानी?
बाबरी मस्जिद की एक्शन कमिटी की ओर से अयोध्या में विवादित ढांचे से जुड़े मुकदमे में बतौर वकील पेश होते हैं। वे यूपी सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता भी हैं।
योग दिवस से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम बच्चों से स्कूल में सूर्य नमस्कार नहीं करने की अपील की थी। इतना ही नहीं योग दिवस के कार्यक्रम के दौरान ऊं शब्द के उच्चारण पर भी आपत्ति जताई गई थी। इसके बाद सरकार ने योग दिवस के कार्यक्रम से सूर्य नमस्कार हटा दिया था और कहा था कि मंत्र की जगह कोई भी व्यक्ति अपने ईस्ट देव या धर्म के हिसाब से उच्चारण कर सकता है।