भोपाल। सेना की भर्ती नियमों में बदलाव और युवाओं को रोजगार देने के सरकार के तरीके का देश भर के कई हिस्सों में युवाओं द्वारा जमकर विरोध किया जा रहा ह। विरोध इतना उग्र कि प्रशासन की नींद उड़ी हुई है। बिहार से शुरू हुए विरोध ने अब धीरे-धीरे अपने पांव पसारना प्रारंभ कर दिया है। बिहार में बिफरे युवाओं पर पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले दागे गए है। वहीं युवाओं ने आगजनी, सडक़ जाम जैसी घटनाओं को अंजाम दिया है। बिहार के मुगलसराय सहित दर्जनों जगह भारी विरोध किया जा रहा है। कई स्थानों पर तो ट्रेनों को आग के हवाले किया जा रहा है। आगरा में भ युवाओं का आके्रश दिख रहा है। वहीं हिमाचल में प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करने पहुंचे युवाओ ंको पुलिस से दो-दो हाथ करने पड़े जहां पुलिस ने युवाओं को काबू करने के लिए सख्ती बरती है।
मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, युवाओं का कहना है कि, सशस्त्र बलों में सिर्फ चार साल के लिए भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कोई भी दो साल से अधिक समय तक कड़ी मेहनत क्यों करेगा और वह भी कम वेतन पैकेज के लिए। उन्होंने कहा कि ऊपरी आयु सीमा भी 21 वर्ष निर्धारित की गई है, जो ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित लोगों के लिए कम है। सशस्त्र बलों की नौकरियों के लिए होड़ करने वाले मध्यम पारिवारिक पृष्ठभूमि के हैं, जिनमें ज्यादातर किसान हैं। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि अपनी युवावस्था के चार कीमती वर्ष बिताने के बाद, शेष 75 फीसदी अग्निवीरों के पास रोजगार की कोई गारंटी नहीं होगी।

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