नई दिल्ली। विगत 16 अप्रैल यानी हनुमान जयंती के अवसर पर दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हुई हिंसा मामले में पुलिस की कार्रवाही तेज हो गई। वहीं महानगरपालिका द्वारा आरोपियों के मकानों को द्धवस्त करने की कार्रवाही शुरू कर दी। जिसके बाद जमियत उलेमा-ए-हिन्द ने सुप्रीमकोर्ट का रूख किया है। सुप्रीमकोर्ट ने भी तत्काल अतिक्रमण हटाने की कार्रवाही पर रोक लगा दी है। इधर एमसीडी कार्रवाही को सही बता रही है तो असउद्दीन ओवेसी ने कार्रवाही को मुस्लिम विरोधी करार दिया है। हनुमान जयंती पर हुई हिंसा के बाद सुर्खियों में आए जहांगीरपुरी में बुधवार को एमसीडी की अवैध कब्जों पर हुई कार्रवाई पर आज यानी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी केस को राष्ट्रीय मुद्दा मानने से इनकार कर दिया है। फिलहाल, कोर्ट में बहस जारी है। इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। वहीं टीएमसी यानी तृणमूल कांग्रेस ने हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके में फैक्ट फाइंडिंग टीम भेजने का फैसला लिया है। सूत्रों की मानें तो यह टीम शुक्रवार को जहांगीरपुरी आएगी। वहीं, जहांगीरपुरी हिंसा के आरोपियों की कुंडली खंगालने के लिए दिल्ली पुलिस बंगाल पहुंच चुकी है। तो चलिए जानते हैं जहांगीरपुरी हिंसा केस से जुड़े सभी अपडेट।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कोर्ट ने याचिका दाखिल की
बुधवार को दिल्ली नगर निगम ने जहांगीरपुरी में अवैध निर्माण गिराने की कार्रवाई शुरू की थी। लेकिन कार्रवाई शुरू होने के एक घंटे के भीतर ही सुप्रीम कोर्ट ने इस ऑपरेशन पर रोक लगा दी। दरअसल, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने रूष्टष्ठ की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं।
कोर्ट से अपील की- बुलडोजर चलाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने का आदेश दें
इनमें से पहली याचिका में बिना नोटिस के बुलडोजर चलाकर स्थानीय लोगों को उनके बुनियादी नागरिक अधिकार से वंचित करने की बात कही गई थी। वहीं, दूसरी अर्जी में देश के कई राज्यों में किसी भी आरोप के लिए अचानक बुलडोजर चलाने की सरकारी प्रवृत्ति पर रोक लगाने का आदेश देने की अपील की गई थी।