भोपाल। लगातार मौसम में बदलाव के चलते वक्त से पहले पड़ी तेज गर्मी के कारण इस बार देश में अनुमान के मुताबिक 25 प्रतिशत गेंहू का कम उत्पादन हुआ है। जिससे बीते 15 सालों की अपेक्षा इस बाद मार्च और अप्रैल माह में ही आटे के दामों में वृद्धि दर्ज हुई। लिहाजा सरकार ने गेंहू के दामों पर नियंत्रण पाने के लिहाज से निर्यात पर रोक लगा दी है। जिसका जी-7 देशों ने विरोध करना प्रारंभ कर दिया है।
गौरतलब हो कि बीते 15 वर्षों में देश में उत्पादन होने बाले गेंहू में इस वर्ष कमी दर्ज हुई है। साथ ही सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद के आंकड़े भी कम हुए है। यही कारण है कि बाजार में गेंहू के दाम अचानक से बढऩे लगे। जिस पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार ने गेंहू के निर्यात पर रोक लगा दी है। जिसका असर यूरोपिन देशों पर दिखाई देने लगा है। जी7 देशों ने भारत के इस कदम का पुरजोर विरध करना प्रारंभ कर दिया है। उल्लेखनीय है कि भारत ने गेंहू के निर्यात पर बैन लगाने का कदम देश में आटे के दामों को नियंत्रित करने और पड़ौसी देशों में गेंहू पर्याप्त मात्रा में मुहैया कराने के उद्देश्य से उठाया है। वहीं जी-7 देशों का कहना है कि भारत के इस कदम से खाद्य सामग्री (खास तौर पर गेंहू से बने) के दामों में आसामनी उछाल आना प्रारंभ हो गया। जिससे कई देशों में खाद्यान संकट गहरा सकता है। वहीं भारत के पड़ौसी देश बंगलादेश, इंडोनिशिया, मलेशिया, श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान सहित 10 देशों की गेंहू की पूर्ति भारत से ही होती है। जबकि भारत में गत साल की अपेक्षा इस बार 25 प्रतिशत गेंहू का कम उत्पादन हुआ है। लिहाजा निर्यात पर बैन लगाना ही एक उचित कदम है, जिससे देश में खाद्यान संकट को रोका जा सके।