नई दिल्ली। लगातार हो रही मतदाताओं में वृद्धि और चुनावी खर्च को ध्यान में रखते हुए भारतीय चुनाव आयोग ने अब नया फैसला लिया है। जिसे चुनाव सुधार को लेकर देखा जा रहा है और उम्मीदवारों के लिए राहत भरा हो सकता है। इसका सीधा प्रभाव चुनाव प्रचार के खर्च पर पड़ता है। चुनाव आयोग द्वारा निधारित राशि के अलावा प्रत्याशी, चोरी छुपी अपने स्तर पर अधिक खर्च करते हैं। ऐसे में अब निर्वाचन आयोग ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव खर्च की सीमा को बढ़ाने का फैसला किया है। अब ग्रामीण इलाकों से विधायकी का चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार अपने प्रचार में 28 लाख रूपए तक खर्च कर पाएंगे। पहले ये सीमा 20 लाख रूपए की थी। वहीं शहरी क्षेत्रों में या बड़े चुनाव क्षेत्रों में प्रत्याशी 28 लाख रूपए की जगह अब 40 लाख रूपए तक खर्च कर पाएंगे।

लोकसभा क्षेत्र के लिए खर्च राशि
भारतीय चुनाव आयोग ने चुनावी राशि में बदलाव करते हुए विधानसभा के अलावा चुनाव आयोग ने लोकसभा क्षेत्र में भी खर्च की राशि को बढ़ाने का फैसला किया है। आयोग ने साल 2014 में ग्रामीण इलाकों के लोकसभा क्षेत्र के लिए 54 लाख और शहरी लोकसभा क्षेत्रों के लिए 70 लाख की खर्च राशि को तय किया था। लेकिन अब उसे बढ़ाकर शहरी क्षेत्रों में 95 लाख और ग्रामीण क्षेत्रों में 75 लाख रूपया कर दिया गया है।

आयोग ने एक समिति का गठन किया था

बता दें कि चुनाव आयोग ने पिछले साल रिटायर्ड आईआरएस अधिकारी हरीश कुमार, आयोग के सेक्रेटरी जनरल उमेश सिन्हा और वरिष्ठ उप आयुक्त चंद्र भूषण कमार की एक समिति बनाई थी। इस समिति ने सभी राजनीतिक पार्टियों, राज्यों में मुख्य निर्वाचन अधिकारी और ऑब्जर्वर्स सहित अन्य हितधारकों से बात की। इसके अलावा जनता से भी इस बारे में राय मांगी गई थी।

समिती ने दिया था सुझाव
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि साल 2014 से 21 के बीच यानी सात वर्षों में मतदाताओं की संख्या 834 मिलियन से बढक़र 936 मिलियन हो गई है। इन सात वर्षों में मतदाताओं की संख्या में 12.23 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसके अलावा महंगाई का ग्राफ भी 240 से बढक़र 317 हो गया है। कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स में 32.08 फीसदी का इजाफा हुआ है। ऐसे में चुनाव आयोग प्रचार के दौरान होने वाले खर्च को बढ़ाने का फैसला किया है।

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