नई दिल्ली। दुनिया भर में डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों का इतिहास पुराना है और अभी तक लगभग 12 हजार से अधिक ऐसी कंपनियां मार्केट में व्यापार कर हीं है। बात की जाए भारत की तो बीते दो दशकों में डायरेक्ट सेलिंग की लगभग 500  कंपनियों ने अपना दायरा बड़ाया है। जहां लॉक्डॉउन के समय में सभी तरह के व्यापार चौपट हो गए तब इन कंपनियों ने मौटा माल कमाया। इस तरह की कंपनियों का आधार अधिकतम पिरमिड जैसा होता है। जिसमें चैन के माध्यम से मौखिक प्रचार-प्रसार के माध्यम से कंपनियों के हर तरह के दैनिक प्रयोग के सामानों को सेल किया जाता है। इसमें ग्राहक ही बिक्रेता की भूमिका अदा करता है। जिसके लिए ग्राहक को मौटे कमीशन का बोलकर कंपनियां करोड़ों रूपऐ की कमाई करती है। लेकिन अब ऐंसा होना संभव नहीं है। भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इन कंपनियों पर नकैल कसने के लिए नई गाइडलाईन बनाकर प्रयास किया है।
90 दिनों में करना होगा पालन
डायरेक्ट सेलिंग कंपनियां अब पिरामिड योजनाएं नहीं चला सकेंगी। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने ऐसी कंपनियों के लिए नए नियम अधिसूचित करते हुए उन्हें नकद प्रसार योजनाओं को भी बढ़ावा देने से रोक दिया। एमवे, टप्परवेयर व ओरिफ्लेम जैसी कंपनियों को अब 90 दिनों के भीतर नए नियमों का अनुपालन करना होगा। डायेरक्ट सेलिंग कंपनियों को अपने विक्रेताओं द्वारा बेचे गए उत्पादों एवं सेवाओं को लेकर आने वाली शिकायतों के लिए भी जवाबदेह बनाया जाएगा।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने उपभोक्ता संरक्षण (सीधी बिक्री) नियम, 2021 की अधिसूचना जारी की। इस नियम के दायरे में ई-कामर्स प्लेटफार्म पर सीधे ग्राहकों को सामान बेचने वाले विक्रेता भी आएंगे। नए नियमों के तहत डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल दी गई है।
नई गाईडलाईन में होगा दंड का प्रावधान
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि डायरेक्ट सेलिंग उद्योग के लिए पहली बार नियम-कानूनों को उपभोक्ता संरक्षण मंत्रालय के तहत अधिसूचित किया गया है। अगर उन्होंने कानून का उल्लंघन किया, तो कानून के तहत उन्हें दंड दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पिरामिड योजनाएं चला रहीं कंपनियां लोगों को खुद से जोडऩे के लिए तरह-तरह के सपने दिखाती हैं। संभावित ग्राहकों को कागजों पर बताया जाता है कि अगर उन्होंने चार या पांच लोगों को अपने साथ जोड़ा, उन पांच लोगों ने अपने साथ 25 लोगों को शामिल किया तो चेन लंबी होती जाएगी। यह चेन जितनी लंबी होगी, ऊपर पहुंच रहे ग्राहकों की कमाई भी उसी तरह बढ़ती रहेगी।
क्या हैं पिरामिड योजनाएं
पिरामिड योजनाओं के तहत किसी व्यक्ति की नियुक्ति यह लालच देते हुए की जाती है कि अगर वह अपने नीचे और लोगों को जोड़ता जाएगा तो उसकी कमाई बढ़ती जाएगी।- इसमें नियुक्त होने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती है और बहुत जल्द नई नियुक्तियों की संख्या लगभग खत्म हो जाती है। ऐसे में जो पिरामिड के निचले स्तर पर होता है उसकी कमाई काफी कम होती है या नहीं के बराबर होती है।- इसमें ज्वाइन करने में कई बार मोटा शुल्क लिया जाता है। इसमें ट्रेनिंग शुल्क, जरूरी किट और मेंबरशिप शुल्क जैसे मद शामिल होते हैं।
नए नियमों के अनुसार
डायरेक्ट सेलर को ग्राहक के पास जाने से पहले उसकी पूर्व अनुमति लेनी होगी- बिना पहचान पत्र के कोई डायरेक्ट सेलर किसी ग्राहक के पास नहीं जाएगा- विक्रेता अपने ग्राहक से ऐसा कोई वादा नहीं करेगा जो उसकी कंपनी पूरी नहीं कर पाए- विक्रेता को डायरेक्ट सेलिंग कंपनी से सामान या सेवा की बिक्री का लिखित कांट्रैक्ट करना होगा- विक्रेता अपने ग्राहक को डायरेक्ट सेलिंग कंपनी का नाम और पता बताएगा- विक्रेता अपने ग्राहक को बिक्री, भुगतान, रिफंड या उपयोग की शर्तो के बारे में विस्तार से बताएगा- विक्रेता यह सुनिश्चित करेगा कि ग्राहक को सही और वास्तविक सामान मिले- विक्रेता अपने ग्राहक की निजी सूचना कहीं भी अन्यत्र जाहिर नहीं होने देगा।

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