नईदिल्ली। ड्रोन के रूप में जाने जाने वाले मानवरहित हवाई वाहनों (यूएवी) के इस्तेमाल से भारतीय कृषि में क्रांति लाने तथा देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की काफी संभावनाएं दिखाई पड़ती हैं। राष्ट्रीय ड्रोन नीति को अधिसूचित कर दिया गया है और ड्रोन नियम 2021 को देश में लोगों तथा कंपनियों के लिए अब ड्रोन के स्वामित्व एवं संचालन को काफी आसान बना दिया गया है। अनुमतियों के लिए अपेक्षित शुल्क को भी नाममात्र के स्तर तक घटा दिया गया है।
ड्रोन मल्टी-स्पेक्ट्रल तथा फोटो कैमरों जैसी कई विशेषताओं से सुसज्जित हैं और इसकाइस्तेमाल कृषि के कई क्षेत्रों में किया जा सकता है, जैसे फसल के दबाव की निगरानी, पौधों की वृद्धि, पैदावार की भविष्यवाणी, खरपतवार नाशक, उर्वरक तथा पानी जैसी सामग्रियों का वितरण करना। किसी भी वनस्पति या फसल के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है, खरपतवार, संक्रमण तथा कीटों से प्रभावित क्षेत्र और इस आकलन के आधार पर, इन संक्रमणों से लड़ने के लिए आवश्यक रसायनों का सटीक मात्रा में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे किसान की कुल लागतमें काफी कमी की जा सकती है। कई स्टार्ट-अप्स द्वारा ड्रोन प्लांटिंग सिस्टम भी विकसित किए गए हैं, जो ड्रोन को पॉड्स, उनके बीजों को शूट करने तथा मिट्टी में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को स्प्रे करने की सुविधा देते हैं। इस प्रकार, यह तकनीक लागत को कम करने के अलावा फसल प्रबंधन की निरंतरता और दक्षता को बढ़ाती है।
किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे मजदूरों की अनुपलब्धता याअधिक लागत, रसायनों (उर्वरक, कीटनाशक, आदि) के संपर्क में आने से स्वास्थ्य समस्याएं, उन्हें खेत में लगाते समय, कीड़ों या जानवरों द्वारा काटने आदि। इस संदर्भ में, ड्रोन हरित प्रौद्योगिकी होने के लाभों के साथ इन परेशानियों से बचने में किसानों की मददकर सकते हैं। कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार के पर्याप्त अवसर भी प्राप्त हो सकते हैं।