नई दिल्ली। एक साल से भी अधिक समय से चल रहे संयुक्त किसान युनियन के बेनर तले किसान आंदोलन आखिरकार शुक्रवार को पूर्ण रूप से समाप्त होने की घोषणा हो गई। जिसके बाद दिल्ली की हरियाणा और उत्तरप्रदेश से लगी सीमाओं पर आंदोलन के लिए जमे किसानों ने अपने टेंट और तम्बू उठाना प्रारंभ कर दिया। जहां किसानों में आंदोलन समाप्त होने की खुशी साफतौर पर दिखाई दे रही है। वहीं आम जनता को भी राहत महसूस हो रही है। बतादें कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा किसान आंदोलन को स्थगित करने के ऐलान के बाद दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर से शनिवार से प्रदर्शनकारियों की आधिकारिक वापसी शुरू हो गई है। शनिवार सुबह से ही किसान प्रदर्शनकारियों की गाडिय़ों के काफिले निकल रहे हैं। बता दें कि दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर से किसानों की वापसी शुरू तो हो गई है, लेकिन यहां पर यातायात सामान्य होने में अभी एक-दो दिन से लेकर सप्ताह भर का समय लग सकता है। बता दें कि किसानों द्वारा शनिवार को विजय रैली के बाद आंदोलन स्थल खाली किए जाएंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने गुरुद्वारा बंगला साहिब पहुंचकर मत्था टेका। डीएसजीएमसी के कार्यकारी महासचिव हरमीत सिंह कालका ने किसान नेताओं को सम्मानित किया। मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि प्रदर्शन की वजह से दिल्ली के लोगों को परेशानी हुई उसके लिए माफी मांगते हैं। राकेश टिकैत ने भी डीएसजीएमसी और दिल्ली की संगत का आभार जताया।

इसी तरह यूपी गेट पर शुक्रवार को भी प्रदर्शनकारियों की वापसी जारी रही। एक बड़ा लंगर और चिकित्सा शिविर बंद हो गया। प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को विजय दिवस मनाने और 15 दिसंबर तक पूरी तरह से टेंट व अन्य सामान समेटने का ऐलान किया है।
गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर के बार्डर से किसानों की वापसी जश्न मनाने के साथ हो रही है। खासतौर से दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर से शंभु बार्डर तक किसान शनिवार से विजय मार्च शुरू करेंगे। इस दौरान यह मार्च हरियाणा के कई जिलों से होकर गुजरेगा।

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