भोपाल। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज मध्य प्रदेश के भोपाल में 48 वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस का पूरे देश की पुलिसिंग में दो दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। एक समान चुनौतियों से निपटने के लिए देशभर की पुलिस के बीच समन्वय और दूसरा अपराधियों से दो कदम आगे बने रहने के लिए तकनीक का उपयोग। हमारे संविधान में पुलिस को राज्य का विषय़ माना गया है और संविधान बनने से लेकर आज तक देश की पुलिस के सामने कई बड़ी चुनौतियां आई हैं क्योंकि अपराध की दुनिया में नए-नए आयाम भी जुड़ गए हैं। इसमें कुछ ऐसी चीज़ें सामने आई हैं जिसमें देशभर की पुलिस को एकवाक्यता और एक-दूसरे के साथ सामंजस्य से काम करना होगा अन्यथा इन चुनौतियों का सामना संभव नहीं है। दूसरी ओर, चूंकि क़ानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, इसीलिए पुलिस राज्य की चुनी हुई सरकार के निर्देशन में चलती है। ऐसे में बहुत बड़ी चुनौती एकसमान रिस्पॉंस की है। उदाहरण के लिए उत्तरपूर्व के आठ राज्यों में अलग-अलग सरकारें हैं और अलग-अलग पुलिस है, लेकिन उनके सामने एक समान चुनौती हथियारबंद समूहों की है। वामपंथी उग्रवाद वाले क्षेत्र में अलग-अलग राज्य हैं लेकिन चुनौती एकसमान है। ऐसी चुनौतियों का सामना करने के लिए समन्वय, नीति और एकवाक्यता की ज़रूरत है, अगर राज्य की पुलिस आइसोलेशन में काम करती है तो इन सब चुनौतियों का हम ठीक से सामना नहीं कर पाएंगे। संविधान को बदलने की ज़रूरत नहीं है लेकिन अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस और डीजी कांफ्रेंस जैसी बैठकों और व्यवस्था के माध्यम से कुछ राज्य मिलकर यहां अपने क्षेत्र विशेष की समस्याओं की चर्चा करके एकसमान नीति बना सकते हैं। उन्होने कहा कि देशभर की पुलिस के सामने ड्रग्स, हवाला ट्रांस्जेक्शन और साइबर फ्रॉड जैसी कुछ एकसमान चुनौतियां हैं। इनके ख़िलाफ़ विचार-विमर्श, साझा रणनीति और एकवाक्यता के साथ काम करने के लिए पुलिस विज्ञान कांग्रेस एक आदर्श फ़ोरम है। क्चक्कक्र&ष्ठ के तत्वाधान में होने वाली ऐसी बैठक इन कमियों को अच्छे तरीक़े से दूरकर एकसमान चुनौतियों का सामना करने के लिए देशभर की पुलिस को एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाती है। गृह मंत्री ने क्चक्कक्र&ष्ठ से आग्रह किया कि वह अपने कार्यक्रमों और सत्रों की रचना, समान चुनौतियों का सामना करने के लिए देशभर की पुलिस की एक रणनीति को ध्यान में रखकर बनाए।

श्री शाह ने कहा कि अपराधी दुनियाभर की नई तकनीक से लैस होते जा रहे हैं और ये बहुत ज़रूरी है कि पुलिस अपराधी से दो क़दम आगे रहे और इसके लिए पुलिस को भी आधुनिक, टेक-सेवी बनना होगा और तकनीक के उपयोग का बीट तक परकोलेशन करना होगा। जब तक कॉंस्टेबल और हेड कॉंस्टेबल तक तकनीक का उपयोग नहीं पहुंचता तब तक हम नए प्रकार के अपराधों के ख़िलाफ़ नहीं लड़ सकते। इसके लिए भी क्चक्कक्र&ष्ठ ने एक प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध कराया है। इन दोनों उद्देश्यों से पुलिस कांग्रेस का महत्व भी है और इसके बिना हम देश की आंतरिक सुरक्षा को सुनिश्चित नहीं कर सकते।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने पिछले 8 साल में कश्मीर,वामपंथी उग्रवाद और पूर्वोत्तर में नारकोटिक्स और हथियारबंद समूहों जैसी तीन समस्याएँ जो कई सालों से आंतरिक सुरक्षा के लिए ख़तरा बनी हुई थीं उन्हे बहुत वैज्ञानिक तरीक़े से अड्रेस करते हुए इनके समाधान में बहुत बड़ी सफलता हासिल की है। कई हथियारबंद समूह हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हुए हैं,धारा 370 ख़त्म होने के बाद कश्मीर में ऩए उत्साह,उमंग और विकास के एक ऩए युग की शुरूआत हुई और आज आतंकवाद पर हमारी सुरक्षा ऐजेंसियों का कमांडिग वर्चस्व दिखाई देता है, साथ ही वामपंथी उग्रवाद भी समाप्त होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ये परिवर्तन इसीलिए आया है कि समस्या का विश्लेषण और उसे समझ कर, इसके उपायों की गहन चर्चा करके एक रणनीति के आधार पर काम हुआ है। उन्होने कहा कि सभी पुलिस विभागों में 10 साल की पुलिस रणनीति और इसकी सालाना समीक्षा की प्रथा को इंस्टीट्यूश्नलाइज़ करना चाहिए। ये बहुत ज़रूरी है क्योंकि अब इस प्रकार के अपराध होने लगे हैं जिनसे पुलिस के मॉडर्नाइज़ेशन, ट्रेनिंग, राज्य में पुलिस के बीच समन्वय, राज्य के बाहर पुलिस के बीच समन्वय और तकनीक को आत्मसात किए बिना लड़ पाना संभव नहीं है। उन्होने कहा कि देशभर की पुलिस को “डाटा नया विज्ञान है और बिग डाटा में सभी समस्याओं का समाधान है” वाक्य को आत्मसात करना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि मोदी जी ने इसके लिए पुलिस टेक्नोलॉजी मिशन की घोषणा की है, गृह मंत्रालय ने इसका एक ख़ाका बना लिया है जिसे हम क्चक्कक्र&ष्ठ के ज़रिए राज्यों की पुलिस को भी सुझाव के लिए भेजेंगे। इसके माध्यम से देशभर की पुलिस एक ही प्रकार के उपकरणों और तकनीक से सुसज्जित हो सकेगी।

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