भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायती चुनाव का बिगुल बज गया है। नामांकन प्रारंभ हो चुके है। वहीं अभी हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद चुनावी प्रक्रिया में मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा ओबीसी आरक्षित सीटों पर चुनावी प्रक्रिया को पूर्ण तरीके से रोक लगा दी है। लेकिन विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान हुई सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष की तीखी नोक-झोक के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ी बात कही है। श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में पंचायत त्रिस्तरीय चुनाव बिना ओबीसी के आरक्षण के नहीं होगें। इसके लिए हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। इसी तरह से नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने भी बड़ा बयान उन्होने कहा कि पंचायती चुनाव में बिना ओबीसी आरक्षण के संभव नहीं है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा की कद्दावर नेत्री और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती ने भी प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। उन्होने कहा कि पंचायती चुनावों में ओबीसी के आरक्षण के बिना कराना ओबीसी समुदाय की उपेक्षा होगी।
कमलनाथ ने कसा सरकार पर तंज
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन बुधवार को सरकार पर पंचायती चुनावों को लेकर कहा कि इस तरह के चुनाव अभी तक नहीं देखे है। जब हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर सरकार को कानून के दायरे में रहने के निर्देश दिए थे। तब सरकार को सुप्रीमकोर्ट में जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया और ओबीसी के आरक्षित सीटों पर चुनावी प्रक्रिया को रोक दिया गया है। जबकि रूटेशन पॉलसी, परिसीमन, आरक्षण यह सब तो कानूनी प्रक्रिया है। सरकार ने अपना पक्ष मजबूती से कोर्ट में नहीं रखा यही कारण है कि प्रदेश की बड़ी संख्या ओबीसी को चुनावों में उपेक्षित किया जा रहा है।
श्रेय लेने की होड़
गौरतलब हो कि कांग्रेस पार्टी की जब प्रदेश में सरकार थी तो उन्होने प्रदेश में ओबीसी के लिए निर्धारित आरक्षण से अधिक देने की मंशा जाहिर की थी। जिसके बाद सत पलट हुआ और पुन: सत्ता में आई भाजपा ने भी ओबीसी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए आरक्षण में वृद्धि करने की घोषण की जिसके बाद कोर्ट में याचिकाएं लगी और चुनाव में ओबीसी के आरक्ष को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को चुनाव पूरी कानूनी प्रक्रिया में कराने की बात कही। जिसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनावी प्रक्रिया जारी रखते हुए ओबीसी आरक्षित पंच, सरपंच, जनपद, जिला सदस्य की सीटों पर रोक लगाते हुए त्रिस्तरीय चुनावी प्रक्रिया पूर्ण की जा रही है। जिस पर कांग्रेस प्रदेश सरकार को घेर रही है। वहीं अब शिव सरकार भी ओबीसी आरक्ष को लेकर सुप्रीमकोर्ट जाने की बात कह रही है। कुल मिला कर देखा जाए तो दोनों राजनैतिक दल यह नहीं चाहते है कि प्रदेश की अधिकतम जनसंख्या ओबीसी को रूष्ठ किया जाए । जिससे उन्हे आगामी विधान सभा चुनाव में नुक्सान को झेलना पड़े। लिहाजा कांग्रेस और भाजपा दोनो आरक्ष को लेकर आमने सामने खड़ दिखाई दे रहे हैं।