भोपाल। मध्प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र आगामी 9 मार्च से प्रारंभ हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश सरकार द्वारा शासकीय योजनाओं को पूर्ण करने के लिए एक बार फिर से 2 हजार करोड़ रूपये का कर्ज लेने की बात सामने आ रही है। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकारी महत्वांकाक्षी योजनाओं और चुनावी बजट होने के कारण भाजपा सरकार किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती है। जिसमें मुख्यम रूप से कर्मचारियों को वांछित डीए और वेतनवृद्धि को लेकर मुख्यमंत्री ने हाल ही में केन्द्र के समान मंहगाई भत्ता देने की घोषणा की है जो कि आगामी माह अपै्रल से वेतनवृद्धि के साथ वेतन दिया जाएगा। जिससे प्रदेश के लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स को साधने का प्रयास किया गया है। इसी तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में सडक़ों का जाल फैलाने और आवागमन को दुरूस्त करने के लिए प्रदेश सरकार को अतिरिक्त बजट की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उक्त कर्ज बजार से लने की बात सामने आ रही है।
किसका कितना कर्ज
मध्यप्रदेश सरकार पर अब तक 2 करोड़ 53 लाख 335 करोड़ का कर्ज हो चुका है। इसमें एक लाख 54 हजार करोड़ का कर्ज खुले बाजार का है। शेष कर्ज में सरकार को पावर बांड सहित अन्य बांड का कंपनशेशन का 7360 करोड़, वित्तीय संस्थाओं की देनदारी 10,901 करोड़, केन्द्र सरकार के ऋण एवं अग्रिम के 31 हजार 40 करोड़ सहित अन्य दायित्व 20 हजार 220 करोड़ रुपए शामिल हैं।

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