भोपाल। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का कार्यकाल जुलाई माह में पूर्ण हो रहा है। इससे पूर्व राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों के लिए राजनैतिक दलों में गोलबंदी का दौर शुरू हो गया है। जहां विपक्ष की कमान बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी संभाल रही है। तो सत्तापक्ष के लिए मोर्चा राजनाथ सिंह के साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संभाल रखा है। हालांकि अभी तक भाजपा ही आगे दिखाई दे रही है। बता दें कि राष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा सदस्य, राज्यसभा सदस्य, विधानपरिषद सदस्य, एमएलसी, विधायकों के मतों से होता है। जनसंख्या के अनुपात में जनप्रतिनिधियों के मतों के मूल्यों के अनुरूप संख्याबल अति महत्वपूर्ण होता है। यही कारण है कि सत्तापक्ष हमेशा अपने पसंद के राष्ट्रपति को निर्वाचित कराने में सफल होता रहा है। हलांकि इसमें सर्वाधिक मायने सत्तापक्ष और राज्यों में पार्टियों के जनप्रतिनिधियों की संख्या मायने रखती है। ऐसे में विपक्षी पार्टियों के लिए सत्तापक्ष से टकराने के लिए एकता दिखानी होगी, साथ ही अपने मोर्चा में एकत्र हुए दलों के जनप्रतिनिधियों को मतदान तक संभालना होगा। अन्यथा क्रास वोटिंग के माध्यम से चुनाव में हार का सामना करना पड़ सकता है। यही कारण है कि ममता बनर्जी अभी से दिल्ली में डेरा डाले हुए है। जहां तमाम विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर राष्ट्रपति चुनाव की रूपपरेखा गढ्ी जा रही है। किन्तु भाजपा भी खुलकर अपना खेल खेलने में लग चुकी है। जिसकी बानगी मध्यप्रदेश में देखने को मिली है। जहां तीन विधायकों को पार्टी की सदस्यता दिलाकर अपनी इच्छा जाहिर कर दी है।
नहीं आया राष्टपति पद के उम्मीदवार का नाम सामने
जहां राजनैतिक दल रस्साकशी में जुटे हुए है। वहीं आमजनता पशो-पेश में है कि आखिर देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा यह सोचने वाली बात है। जहां भाजपा के द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतिशकुमार पर दाव लगा सकती है। वहीं विपक्षी दल शरद पवार के लिए मनाने में लगे हुए है। लेकिन सूत्रों के अनुसार जानकारी मिली है कि शरद पवार ने मना कर दिया है। उधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी दो तरह की मंशा जाहिर कर चुके है। इसके साथ ही भाजपा हमेशा एक नया नाम लेकर आने के लिए मशहूर है। अब देखना होगा कि अगला राष्ट्रपति कौन होगा यह तो भविष्य ही तय करेगा।
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष हुए लामबंद
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