नईदिल्ली। शिक्षा छात्र  के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर करती है और इस प्रकार व समाज का भी उत्थान कर सकती है। उक्त बात राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने केरल के कासरगोड के केन्द्रीय विद्यालय में आयोजित पांचवे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही। उनहोने कहा कि महान संत एवं समाज सुधारक विद्याकोंडु प्रबुद्धा रवुका जैसी अपनी उक्तियों से लोगों को प्रेरित करते थे जिसका अर्थ है शिक्षा के माध्यम से प्रबुद्ध हो जाओ। उन्होंने कहा कि महान पुरुषों एवं महिलाओं, विशेषकर हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं का जीवन इस काफी सरलता से इस सत्य को उजागर करता है कि स्कूल एवं कॉलेज व्यक्तिगत और सामाजिक परिवर्तन के सबसे महत्वपूर्ण स्थल हैं। ये वे कार्यशालाएं हैं जहां देश के भाग्य को आकार दिया जाता है।

उन्होने कहा कि केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय के खूबसूरत परिसर जैसे शैक्षिक स्थानों में उन्हें जो जीवंतता और ऊर्जा का अनुभव होता है वह सामाजिक सशक्तिकरण की संभावनाओं से आती है। यह एक ऐसा स्थान है जहां विचारों को पोषित, पढ़ाया और सीखा जाता है। इस प्रक्रिया में वातावरण विचारों की जीवनी शक्ति सक्रिय हो जाती है जिससे नए विचार सृजित होते हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान का यह अखंड चक्र समाज और राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए आवश्यक है।

राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020(एनईपी) के बारे में बताते हुए कहा कि शिक्षा को बढ़ावा देने में सरकार का काम उपयुक्त माहौल तैयार करने में मदद करना है जहां युवा दिमाग रचनात्मकता से भर जाए। एनईपी एक ऐसा परिवेश विकसित करने के लिए एक सुनियोजित रूपरेखा है जो हमारी युवा पीढ़ी की प्रतिभा को पोषित करेगी। इसका उद्देश्य उन्हें उन्हें अपनी सर्वश्रेष्ठ परंपराओं से लैस करते हुए कल की दुनिया के लिए तैयार करना है।

 

(Visited 4 times, 1 visits today)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here