भोपाल। महाराष्ट्र सत्ता की लड़ाई सडक़ों से होती हुई अब कोर्ट तक पहुंच गई। सर्वोच्च न्यायलय में सिंदे गुट ने डिप्टी स्पीकर के नोटिस के विरूद्ध याचिका दाखिल की थी। जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में दो सदस्यी बैंच ने की सोमवार को की। सुनवाई में दोनों पक्षों के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीले दी सिंदे गुट की पैरवी वकी कौशल ने की तो महाराष्ट्र सरकार की पैरवी जाने माने वकील मनु सिंघवी ने की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी सपीकर के 15 विधायकों को निलंबित करने वाले नोटिस को अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। साथ ही बागी हुए विधायकों की सुरक्षा को लेकर महाराष्ट्र सरकार और विधानसभा सचिव व टिप्टी स्पीकर को नोटिस दिया है। साथ आदेश दिया कि बागी विधायकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की है।
एकनाथ शिंदे और 15 अन्य बागी विधायकों ने अयोग्यता नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिस पर आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर, महाराष्ट्र राज्य विधानसभा के सचिव, केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना नेता अजय चौधरी, सुनील प्रभु को भी नोटिस जारी कर पांच दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।
शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से फोरी तौर पर राहत मिल गई है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखे और सभी 39 विधायकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए। उनकी संपत्ति को कोई नुकसान न पहुंचे। इससे पहले जस्टिस सूर्य कांत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर 11 जुलाई शाम 5.30 बजे तक रोक लगा दी है।
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