भुभ्नेश्वर। ओडिशा सरकार को आज सुप्रीमकोर्ट से राहत मिली है। एससी में ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर परिक्रमा प्रोजेक्ट का विरोध करते हुए याचिका दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई करते हुए एससी ने विरोध में दायर दोनों याचिकाओं को जनहित में न होने का जिक्र करते हुए याचिकाओं को नकार दिया। जगन्नाथ मंदिर परिक्रमा प्रोजेक्ट का कार्य अब बंद नहीं होगा। इसके साथ ही कोर्ट का समय बर्बाद करने को लेकर दोनों याचिकाकर्ताओं के खिलाफ एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जस्टिस वी.आर.गवई एवं हीमा कोहली को लेकर गठित खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करने के बाद आज राय प्रकाशित की है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार ने जो कदम उठाया है वह लोगों की सुविधा के लिए जरूरी है। इस तरह की जनहित याचिका दायर करना कानून का दुरुपयोग है। यह सब प्राचीन स्मारिक एवं पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958 के अनुसार किया जा रहा है। इसके अलावा मंदिर प्रशासन के लिए पहले से ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किया है। भक्तों की सुविधा एवं हित के लिए यह सब निर्माण कार्य चल रहा है।
गौरतलब है कि 9 मई को ओडिशा हाईकोर्ट ने श्रीमंदिर के चारों तरफ होने वाले निर्माण कार्य पर रोक लगाने से मना कर दिया था। हाईकोर्ट की राय के खिलाफ 23 मई को अद्र्धेंदु दास एवं 27 मई को सुमन्त घड़ेई सुप्रीम कोर्ट में दो अलग अलग स्पेशल लिव पिटीशन दाखिल किए थे। विश्व प्रसिद्ध पुरी रथ यात्रा को देखने के लिए विभिन्न स्थान से श्रद्धालुओं का समागम होगा। उनके लिए ट्वालेट की आवश्यकता होने से यह काम जगन्नाथ धाम में तेजी से चल रहा है। जनसाधारण के हित को ध्यान में रखते हुए यह कार्य किया जा रहा है, अदालत के सामने राज्य सरकार ने अपना पक्षा रखा था।
सुप्रीमकोर्ट की राय आने के बाद पुरी के सांसद तथा वरिष्ठ वकिल पिनाकी मिश्र ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि महाप्रभु की वाणी आज सुप्रीम कोर्ट के जरिए सामने आयी है। यह नवीन पटनायक के उद्देश्य की विजय है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पुरी शहर को विश्व स्तरीय ऐतिह्य शहर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे है। पुरी जगन्नाथ मंदिर परिक्रमा प्रोजेक्ट राजनीति से ऊपर है। प्रोजेक्ट के लिए जब आधारशिला रखी गई तो फिर सभी राजनीतिक दलों को बुलाया गया था। इस पवित्र उद्देश्य में व्यक्तिगत हित के लिए राजनीति ना करने के लिए उन्होंने अपील की है।

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