भोपाल। राजस्थान में सियासी उठापटक के बीच प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर घमाशान मचा हुआ है। इसीबीच खबर है की प्रदेश के कद्दावर नेता सावहिं पायलट कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात ने राजनीती में उबाल ला दिया। कांग्रेस अंतिरम अध्यक्ष सोनिया गांधी से गुरुवार को जंहा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुलाकात हुई थी। तो शुक्रवार को नेताओ के मिलने का सिलसिला थमता दिखाई नहीं दे रहा है। जिससे मामला गर्म है। राजस्थान को लेकर दिल्ली में चल रही सियासी सरगर्मियों के बीच प्रदेश के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से दिल्ली, 10 जनपथ पर मुलाकात की। बैठक के बाद सचिन पायलट ने कहा कि यह बहुत अच्छा है कि सोनिया गांधी जी लगातार प्रतिक्रिया मांग रही हैं कि क्या किया जाना चाहिए। हमें इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि राजस्थान में फिर से चुनाव किए जाए।
वहीँ दूसरी तरफ छत्तिसगर कांग्रेस में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, जंहा प्रदेश के स्वस्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव का बार बार दिल्ली दौरा भूपेश बघेल के लिए राजनैतिक दुविधा कड़ी कर रहे है। जिसके कारण छत्तिसगर कांग्रेस पार्टी में दरार पफटी फ़िक़्ह रही है। अब शुक्रवार को भूपेश बघेल का दिल्ली दौरा कोई नै राजनीती की और इसरा कर रहा है। क्या पंजाब की तरह ही राजस्थान और छत्तिसगर में राजनैतिक बदलाव नजर आ रहा है, यह अभी खपाना जड़वाजी होगी।
सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दिल्ली दौरे और शीर्ष नेताओं से मुलाकात के साथ ही राजस्थान में लंबे समय से प्रस्तावित मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर एक बार फिर अटकलें तेज हो चुकी हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल पर भी निर्णय हो जाएगा। बता दें कि 17 दिसंबर को गहलोत सरकार का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। इस तीन साल में मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल नहीं होने के पीछे पार्टी की खींचतान का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है।
पायलट खुलकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने मैदान में आ गए हैं। वहीं अब इस मामले को लेकर दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के दरबार में पहुंचे गहलोत ने कल कहा था कि राज्य कैबिनेट में किसी भी तरह के फेरबेदल का अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान को ही लेना है और जो भी फैसला लिया जाएगा वह उन्हें मंजूर होगा।