गौरव चौहान
अपने अल्प समय के कार्यकाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शासन-प्रशासन और जनता में मन में सुशासन का ऐसा भाव भर दिया है कि हर कोई उन्हें नायक की भूमिका में देखना चाहता है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता हटने के बाद सीएम डॉ. मोहन यादव का नया रूप देखने को मिलेगा। यानी डॉ. मोहन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तर्ज पर काम करते हुए दिखेंगे। इसकी झलक उन्होंने गत दिनों विभागों की समीक्षा के दौरान दिखा दिया है। जिस तरह उन्होंने रेत के अवैध खनन, धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर, कानून व्यवस्था, नर्सिंग घोटाले और योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर अपना सख्त रूख दिखाया है, उससे यह साफ हो गया है कि आचार संहिता हटने के बाद सरकार का हथौड़ा तेजी से चलेगा। सत्ता-संगठन के सूत्रों का कहना है कि आगामी दिनों में सीएम डॉ. यादव की कार्यशैली में सख्ती और तत्परता नजर आएगी। ब्यूरोक्रेसी को जवाबदेह बनाने के लिए सरप्राइज विजिट भी होगी।गौरतलब है कि डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही अपनी आक्रामक शैली से यह दिखा दिया कि वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तर्ज पर मप्र में काम करेंगे। कुर्सी संभालने के तुरंत बाद ही सीएम डॉ. यादव के कुछ निर्णय सुर्खियों में रहे। उन्होंने धार्मिक स्थलों पर तेज आवाज में बजने वाले लाउड स्पीकर्स के साथ ही खुले में मांस बिक्री पर तत्काल रोक लगा दी। बदसलूकी के मामलों में बड़े अफसरों पर कार्रवाई भी चर्चित रहीं। हालांकि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के कारण लगभग सब कुछ थम-सा गया है। लेकिन अब एक बार फिर मुख्यमंत्री अपनी प्रशासनिक सक्रियता बढ़ाएंगे। यानी जिस तरह नायक फिल्म में अनिल कपूर यानी मुख्यमंत्री शिवाजी राव अचानक लोगों के बीच पहुंचते हैं। उनकी सुनवाई होती है, मौके पर ही समस्याओं का निराकरण होता है और अफसर भी मौके पर ही नपते हैं। फिल्म की रील कहानी अब मप्र में रियल दिखने जा रही है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद प्रदेश की जनता को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का नया रूप देखने को मिलेगा।
केवल बैठकें नहीं एक्शन होना चाहिए
लोकसभा चुनाव की व्यस्तताओं से निवृत्त होते मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रशासनिक कामकाज में जुट गए हैं। गत दिनों उन्होंने मंत्रालय में संभाग स्तरीय बैठकों में हुए निर्णयों के पालन की स्थिति को लेकर समीक्षा के दौरान कहा कि केवल बैठकों से काम नहीं चलेगा। असर दिखना चाहिए। रेत का खनन नियमानुसार ही होना चाहिए। उत्खनन में अवैध रूप से लगाई गई मशीनों को जब्त करें। अवैध उत्खनन पर कड़ी कार्रवाई हो। अपर मुख्य सचिव और प्रमुख विभागों के प्रमुख सचिवों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध उत्खनन और परिवहन की घटनाएं सामने आती हैं। इसे रोकने के प्रयास में कई बार घटनाएं हो जाती हैं। इन पर कड़ाई से अंकुश लगाया जाए। रेत का उत्खनन नियम अनुसार ही होना चाहिए। कहीं भी अवैध उत्खनन न हो। अवैध रूप से इस काम में लगी मशीनों को जब्त किया जाए। केवल बैठकें नहीं एक्शन होना चाहिए। मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद प्रदेशभर में रेत के अवैध खनन के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही है। धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतारे जा रहे हैं। अपराधियों की धड़पकड़ तेज हो गई है। ये सब इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में प्रदेश में सुशासन पर सबसे अधिक जोर रहेगा और प्रदेश में शासन की नई कार्यप्रणाली देखने को मिलेगी।
ताबड़तोड़ निरीक्षण, मौके पर ही कार्रवाई
सीएम अचानक प्रदेश में कहीं भी निरीक्षण करने पहुंच जाएंगे। जहां लापरवाही मिली वहां मौके पर ही सुनवाई होगी। संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों पर भी सख्त रुख अपनाया जाएगा। मुख्यमंत्री सचिवालय बड़े पैमाने पर इसकी तैयारी कर रहा है। प्रदेश में किसी भी स्थान पर सीएम का चॉपर उतर सके। इसके लिए हर तीन ब्लॉक में एक हेलीपैड बनाने की योजना तैयार की गई है। इसकी जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग को दी गई है। ब्लॉक में अस्थाई हेलीपैड के साथ अस्थाई हेलीपैड भी बनाए जाएंगे। मैदानी अमला हेलीपैड निर्माण के लिए जगह भी चिन्हित करने लगा है। सूत्र बता रहे हैं कि मुख्यमंत्री का यह कदम इसलिए है, ताकि लोग किसी भी सुविधा से मोहताज न रहें। सीएम जब अचानक ब्लॉक-ब्लॉक पहुंचेंगे तो प्रदेश में हर ब्लॉक स्तर तक प्रशासन स्वत: ही लोगों के लिए अलर्ट रहेगा। मप्र भाजपा प्रवक्ता डॉ. हितेष वाजपेयी का कहना है कि 4 जून के बाद सीएम डॉ. मोहन यादव जनता की अपेक्षा- आकांक्षाओं के अनुरूप निर्णायक और सख्त प्रशासक के बतौर अपने काम- काज व निर्णयों से प्रस्तुत होंगे।
योजनाओं के क्रियान्वयनकी बढ़ेगी रफ्तार
चुनावी व्यस्तता से फुर्सत पाकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अब पूरी रफ्तार से योजनाओं को जमीन पर उतारने की तैयारी में जुट गए हैं। जल्दी ही उनकी सख्त प्रशासक और निर्णायक मुख्यमंत्री वाली इमेज नजर आएगी। ब्यूरोक्रेसी को चौकस रखने ब्लॉक स्तर पर औचक निरीक्षण का प्लान है। इसके लिए मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से प्रदेश के सभी जिलों के हेलीपैड की जानकारी तलब की गई है। लोक निर्माण विभाग से यह भी पूछा गया है कि ब्लॉक स्तर पर कहां-कितने हैलीपेड हैं। सीएमओ की मंशा है कि एक ब्लाक में न्यूनतम 3 हेलीपैड की उपलब्धता हो ताकि किसी भी दूरस्थ इलाके में हवाई मार्ग से अचानक पहुंचा जा सके। इसकी कार्ययोजना बनाई जा रही है। लोक निर्माण विभाग हेलीपैड की जानकारी जुटा रहा है। प्रदेश में कुल 313 ब्लॉक हैं, इस हिसाब से करीब 939 हेलीपैड की जरूरत है। कुछ जिलों में ज्यादा भी संख्या रहती है, इस लिहाज से करीब एक हजार हेलीपैड लगेंगे। जिलों में अभी कुल 220 हेलीपैड हैं। कम से कम 700 हेलीपैड और चाहिए। ऐसे पक्के कांक्रीट के हेलीपैड बनाने पर करीब 30 लाख रुपए का बजट खर्च आएगा। अगर 700 की बात करें तो करीब 210 करोड़ का खर्च आएगा। कुछ ब्लॉक में एक से ज्यादा हेलीपैड भी हैं, पर ऐसे ब्लॉक भी हैं जहां सुविधा नहीं है। इन ब्लाकों में 30 मीटर डायमीटर वाले पक्के हैलीपेड बनाने के लिए पीडब्ल्यूडी ने जिला प्रशासन से जमीन चिन्हित करने का आग्रह किया है। इस संदर्भ में प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग आरके मेहरा का कहना है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर प्रदेश के हैलीपेड की मौजूदा जानकारी एकत्र की गई है। भविष्य एक ब्लॉक में 3 हैलीपेड बनाने की कार्ययोजना बनाई जा रही है।