उदयपुर में जल मंत्रियों के द्वितीय अखिल भारतीय सम्मेलन का समापन

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी. आर. पाटिल ने उदयपुर में आयोजित राज्यों के जल मंत्रियों के द्वितीय अखिल भारतीय सम्मलेन के सफल आयोजन के लिए मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा  का  आभार व्यक्त किया है।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा 18-19 फरवरी  तक उदयपुर में आयोजित इस सम्मलेन के समापन समारोह में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए शिवाजी महाराज के शासन में  जल संरक्षण और प्रबंधन विशेषकर  किलों में जल संरक्षण के लिए किए गए अभिनव प्रयासों को आज की  जल नीति के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया।

उन्होंने कहा की आज देश में लोगों के लिए स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध होना एक आदत बन गई है। यह परिवर्तन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और जल शक्ति मंत्रालय के सतत प्रयासों का परिणाम है। हमने जल संरक्षण और प्रबंधन को एक नई दिशा दी है और इस दिशा में हमें और अधिक प्रतिबद्धता के साथ कार्य करना होगा।

उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन के दौरान विभिन्न राज्यों और विशेषज्ञों से प्राप्त महत्वपूर्ण सुझावों को लागू करने के प्रयास करेंगे। हमने न केवल समस्याओं पर चर्चा की बल्कि उनके समाधान के लिए सामूहिक प्रयासों पर भी बल दिया। ऐसे मंच ज्ञान साझा करने और समस्याओं के व्यावहारिक समाधान खोजने के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होते हैं। कुछ समय पहले मुझे दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में जाने का मौक़ा मिला, जहाँ  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत में जल के क्षेत्र में हो रहे उल्लेखनीय कार्यों की चर्चा हुई । दावोस में रिवर सिटी एलायंस पर भी चर्चा हुई जिसमें कई देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। यह एक उदाहरण है, जहाँ विभिन्न देशों ने अपने अनुभव साझा किए और नवाचार के नए रास्ते खोले।

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने कहा कि हमने नमामि गंगे अभियान के तहत गंगा को स्वच्छ करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। अब लोगों की अपेक्षाएँ बढ़ गई हैं कि हम अन्य नदियों की सफाई के लिए भी इसी प्रतिबद्धता से कार्य करें। राज्यों को इस दिशा में मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। पुनः उपयोगित जल  का महत्व बढ़ रहा है। सूरत में हमने उद्योगों को टर्शियरी ट्रीटेड पानी प्रदान किया जिससे यह एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत बन गया। हमें इस योजना से 600 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। इसी तरह गंगा पर स्थित तीन बिजली संयंत्रों में पहले से ही टर्शियरी ट्रीटेड जल का उपयोग हो रहा है और अब 20 अतिरिक्त  संयंत्रों में इसे अपनाने की योजना है। 

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