एमएसएमई हैं भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि राज्य सरकार का उद्देश्य प्रदेश में उद्यमिता को प्रोत्साहन देकर युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। यह वर्ष हम निवेश और रोजगार वर्ष के रूप में मना रहे हैं। हम आज हमारी युवा शक्ति, हमारे सपनों और अपने सुनहरे भविष्य में निवेश कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उद्यम क्रांति योजना ने प्रदेश के हजारों युवाओं को बैंकिंग सहायता देकर उद्योग शुरू करने का हौसला दिया है। अब हमारे युवा रोजगार मांगने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। आप सभी देश का कोष भरते हैं। रोजगार के अवसर देते हैं और आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत करते हैं। दीपावली से पहले इस मंच पर नये भारत के निर्माण की रोशनी फैली है। उन्होंने कहा कि आज का यह सम्मेलन औद्योगिक कार्यक्रम नहीं बल्कि नए भारत के दीपोत्सव का शुभारम्भ है। यह सम्मेलन विश्वास और स्वाभिमान का उत्सव है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव सोमवार को भोपाल के एक निजी होटल में आयोजित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग की योजना के तहत 700 MSME इकाइयों को सिंगल क्लिक से 197 करोड़ रुपये से अधिक की प्रोत्साहन सहायता राशि वितरित की। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने शासन की नवीन स्टार्टअप नीति के अंतर्गत 63 स्टार्टअप्स को ईआईआर सहायता योजना के तहत सालाना 1.20 लाख प्रति स्टार्ट अप की दर से एक करोड़ रुपये से अधिक की सहायता राशि के चेक भी प्रदान किए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 237 एमएसएमई उद्यमियों को भू-आवंटन पत्र भी प्रदान किए, जिससे उन्हें उद्योग स्थापना में सुगमता होगी। साथ ही मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत 5084 युवाओं को 347 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक ऋण सहायता राशि भी वितरित की। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने सम्मेलन में आये सभी उद्यमियों से आत्मीय संवाद कर एमएसएमई सेक्टर के विकास और प्रोत्साहन के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने हर्ष व्यक्त करते हुए है कि आज 700 MSME इकाइयों को 197 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि मिली है। मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत 5 हजार 84 युवाओं को 347 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने उद्यमियों को शुभकामनाएं देकर कहा कि ईश्वर करे आप सबका उद्योग खूब फले-फूले और आप आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का आधार बनें।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज भारत की लगभग 80 करोड़ से अधिक आबादी किसी न किसी रूप में एमएसएमई से जुड़ी हुई है। यह विशाल आंकड़ा है। आप करोड़ों परिवारों की आशा, आत्मसम्मान और स्वावलंबन का आधार हैं। भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग कई देशों की जनसंख्या को रोजगार देने की क्षमता रखते हैं, बड़ी संख्या में रोजगार सृजन एमएसएमई के माध्यम से होता है। एमएसएमई पूरे देश का उदर पोषण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप सभी रोजगार के सबसे बड़े निर्माता हैं। गांव, कस्बे और शहर हर जगह लघु उद्योग लाखों लोगों को रोजगार दे रहे हैं, स्वावलंबी बना रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारत में 6 करोड़ से अधिक MSME हैं, जो देश की जीडीपी में लगभग 30 प्रतिशत योगदान करते हैं और कुल निर्यात में 45 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं। आज हम विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन पाए हैं, तो इसमें लघु उद्योगों का बड़ा योगदान है। माहेश्वरी साड़ी, सीहोर का शरबती गेहूं, रायसेन का बासमती चावल, भोपाल की जरी, झाबुआ की गुड़िया, डिंडौरी का श्रीअन्न अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बनने की क्षमता रखते हैं। यह हमारी विरासत और लघु उद्योगों की शक्ति है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नए स्टार्टअप को प्रोत्साहन के लिए मध्य प्रदेश स्टार्टअप पॉलिसी- 2025 के तहत हमने एक साल तक प्रतिमाह 10 हजार रुपये की सहायता का प्रावधान किया है। हमारी नीतियों और सहयोग से वर्तमान में प्रदेश में 4 लाख से अधिक विनिर्माण इकाई MSME रजिस्टर्ड हैं। हम एमएसएमई की स्थापना के लिए सभी सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध करा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में स्टार्टअप इंडिया के विजन को साकार करने में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य है। वर्तमान में प्रदेश में 6 हजार से अधिक रजिस्टर्ड स्टार्ट-अप हैं, इनमें से 47 प्रतिशत स्टार्ट-अप की मालकिन हमारी बहनें हैं। प्रदेश के 102 इंक्यूबेशन सेंटर युवाओं को आइडिया आगे बढ़ाने का मौका दे रहे हैं। स्टार्ट-अप रैंकिंग 2022 में प्रदेश को लीडर श्रेणी में जगह मिली।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इस वर्ष उद्योगों को 800 से अधिक भू-खण्ड उपलब्ध कराए जा चुके हैं। 19 नए औद्योगिक क्षेत्र बनाए जा रहे हैं और 10 नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। प्रदेश में “मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना” के तहत 50 लाख रुपये तक का लोन बिना गारंटी के बैकों के माध्यम से दिया जा रहा है। उद्योग लगाने वाले युवाओं को हम जमीन और पूंजी दोनों उपलब्ध करा रहे हैं। डिजिटल रिटर्न की व्यवस्था से अब फाइलिंग आसान हो गई है। जीएसटी ने हमारे उद्योगों को एक नई पहचान दी है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने “वोकल फॉर लोकल” का मंत्र दिया है। इसीलिए हम सबका दायित्व है कि इस मंत्र को आर्थिक स्वतंत्रता का नारा बनाएं। स्वदेशी हमें विदेशी निर्भरता से मुक्त करता है। “आत्मनिर्भर भारत” का मार्ग बड़े-बड़े उद्योगों से नहीं, बल्कि घर-घर की चौखट से शुरू होने वाले छोटे-छोटे उद्योगों से निकलता है। एमएसएमई के माध्यम से हम स्थानीय उद्योगों की मदद से भारत को 2047 तक सबसे मज़बूत और आत्मनिर्भर बनाकर रहेंगे।

मुख्यमंत्री डॉ यादव ने विश्वास जताया कि स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत की दिवाली इस सम्मेलन से शुरू हो रही है। उन्होंने सभी उद्यमियों से अपील करते हुए कहा कि आप सभी भारत और मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भरता से रौशन कीजिये, हमारी सरकार सदैव आपके साथ हैं।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री चैतन्य कुमार काश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर तेजी से विकास कर रहा है। आज उद्यमियों को अगस्त 2025 तक की करीब 200 करोड़ की प्रोत्साहन राशि दी गई है। मध्यप्रदेश देश का इकलौता राज्य है, जहां इतनी तेजी से उद्यमियों को प्रोत्साहन राशि वितरित की जा रही है। प्रदेश में पहली बार 50 प्रतिशत लैंड लॉक सब्सिडी शुरू की है। इसका लाभ छोटे व्यवसायियों को निर्यात में मिलेगा। सभी व्यापारी इस सब्सिडी का लाभ उठाएं। इससे उद्योग नहीं चलता, लेकिन सब्सिडी किसी उद्योगपति के लिए शुरुआती दो साल में सबसे अधिक मदद करती है। यह उद्योग चलाने के लिए हैंड होल्डिंग है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए गुवाहाटी तक में इन्वेस्टमेंट समिट की है। इस वर्ष उद्यमियों को 1080 भूखंड आवंटित किए गए हैं। प्रदेश सरकार ने हर ब्लॉक में औद्योगिक इकाई स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए हर स्तर पर संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। स्टार्टअप अप्रूव होने पर राज्य सरकार एक वर्ष के लिए 10 हजार रुपए प्रतिमाह की सहायता प्रदान कर रही है, जिससे एक नया आइडिया जमीन पर आकार ले सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वर्ष 2025 को उद्योग एवं रोजगार वर्ष के रूप में मना रही है।

प्रमुख सचिव सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम श्री राघवेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि शासन की मंशा है कि युवाओं को रोजगार मिले, उद्योगों का विकास हो। लघु एवं कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में फरवरी 2025 में उद्योग आधारित 18 नीतियां लागू की गई हैं। एमएसएमई सेक्टर में निवेश करने पर पहले 40 प्रतिशत का औद्योगिक प्रोत्साहन मिलता था। अब 83 करोड़ तक के निवेश पर फ्लैट 50 प्रतिशत तक इंसेंटिव मिल रहा है। प्रदेश में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीति बनाई गई है। प्रदेश में सबसे अच्छी एमएसएमई पॉलिसी लागू है, इसमें निजी सेक्टर को भी सहायता प्रदान की जा रही है। सरकार ने वर्ष 2024-25 में करीब 2500 यूनिट्स को 2162 करोड़ की वित्तीय सहायता राशि दी गई है। आज करीब 200 करोड़ रुपए की राशि दी जा रही है। उद्यम क्रांति योजना में 613 करोड़ की सहायता प्रदान की गई है। उन्होंने बताया कि पिछले 6 साल में 820 इकाइयों को भूमि आवंटन हो चुका है। आज 237 उद्यमियों को भूमि आवंटन पत्र वितरित किए गए। साथ ही ईकाइयों की संख्या लगभग 1100 हो गई है। भूमि आवंटन की प्रक्रिया पूरी तरह सरल, सहज एवं पारदर्शी है। प्रदेश में अभी 6000 के आसपास स्टार्टअप हैं, इनमें से लगभग 2800 स्टार्टअप की कमान महिलाओं के हाथों में है। उन्होंने कहा कि आज स्टार्टअप नीति 2025 के अंतर्गत प्रदेश के 83 स्टार्टअप को एक करोड़ रुपए से अधिक की सहायता राशि का वितरण किया गया है।

सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बालाघाट और टीकमगढ़ जिले के लघु उद्यमियों से चर्चा कर उन्हें प्रोत्साहित किया। साथ ही सम्मेलन स्थल में मौजूद भोपाल जिले के उद्योगपतियों और नव उद्यमियों से भी आत्मीय संवाद किया। सम्मेलन में विभागीय आयुक्त श्री दिलीप कुमार, अन्य विभागीय अधिकारी, उद्यमी, स्टार्टअप प्रतिनिधि तथा बड़ी संख्या में विभिन्न उद्योग संगठनों के सदस्य उपस्थित थे।

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